डॉक्टर कन्हैया का उत्तर पूर्वी दिल्ली में धमाकेदार प्रवेश

जन्म से ही संविधान की ताकत 🚀

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अरे हाथी गोराल की जय कन्हैया लाल की! कन्हैया लाल जेएनयू से पीएचडी करके देश का डॉक्टर बन गए हैं। आनंदी का बच्चा भी पीएचडी करके अपने नाम में डॉक्टर लगा सकता है - यही है संविधान की ताकत। कन्हैया ने अपने नामांकन के साथ इस ताकत को एक बार फिर से दिखा दिया है।


फरवरी 2016 से लेकर आज तक की कहानी 💪

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फरवरी 2016 में जब कन्हैया पर देशद्रोह का आरोप लगा था, तो गोदी मीडिया के एंकर्स ने उन्हें देशद्रोही साबित करने की पूरी कोशिश की। लेकिन कन्हैया ने उस रात जेएनयू में जो भाषण दिया, उसने पूरे देश को झकझोर दिया। उन्होंने आजादी के मायने को नया आयाम दे दिया - गरीबी से लेकर सामंती सोच तक की आजादी मांग रहे हैं।


उस घटना के बाद से लेकर आज तक, कन्हैया ने राजनीति में धीरज और समझदारी के साथ अपनी लड़ाई लड़ी है। वह अब इंडिया गठबंधन का उम्मीदवार बनकर उत्तर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ रहे हैं।


उत्तर पूर्वी दिल्ली में कन्हैया का धमाकेदार प्रवेश 🔥

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कन्हैया का नामांकन एक बड़ी राजनीतिक घटना है। वह राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शुरू से लेकर अंत तक शामिल रहे हैं, जिससे उनकी उम्मीदवारी और भी मजबूत हो गई है।


नामांकन के दौरान, कन्हैया ने संविधान की प्रस्तावना का फ्रेम हाथ में लिए हुए था। यह संकेत देता है कि यह लड़ाई संविधान बचाने की लड़ाई है। उनके साथ इंडिया गठबंधन के अन्य दलों के नेता भी मौजूद थे, जिससे गठबंधन की मजबूती भी दिखाई दी।


कन्हैया का आक्रामक अंदाज 🔥

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कन्हैया के भाषणों में जेएनयू की शालीनता और खेत-खलिहान की सहज बुद्धि दोनों नजर आती हैं। उनकी भाषा में गांव का सादगी और महानगर का आत्मविश्वास दोनों शामिल हैं।


उनका भाषण सुनकर गोदी मीडिया के एंकर्स की जुबान लड़खड़ा गई। वह सरकार के सामने साफ-साफ सवाल पूछ रहे हैं और उनकी टैक्टिक्स से नहीं घबरा रहे हैं। कन्हैया का यह आक्रामक अंदाज उनकी ताकत को दर्शाता है।


कन्हैया की अनोखी राजनीतिक यात्रा 🚀

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कन्हैया ने अपने भाषणों में जेएनयू और बिहार दोनों से अपने रिश्ते को जोड़ दिया है। उन्होंने अपनी पीएचडी की उच्चतम डिग्री के माध्यम से जेएनयू को सामने रखा और बिहार के जरिए बाहरी होने की बात को काट दिया।


2019 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद, कन्हैया ने सीपीआई छोड़कर कांग्रेस में आ गए। अब वह इंडिया गठबंधन का उम्मीदवार हैं और दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर से धमाल मचाने आए हैं।


कन्हैया का संविधान से गहरा नाता 🙏

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कन्हैया का नामांकन संविधान की रक्षा की लड़ाई है। उन्होंने अपने नामांकन के दौरान संविधान की प्रस्तावना का फ्रेम हाथ में लिए हुए था, जो इस बात का प्रतीक है।


कन्हैया का मानना है कि जब भी सत्ता अहंकारी होती है, जब भी पाप बढ़ता है, जब भी अत्याचार बढ़ता है, तब न्याय का आरंभ होता है। वह इसी न्याय की लड़ाई लड़ने आए हैं।

Dr Kanhaiya's grand entry in North East Delhi

कन्हैया का मुकाबला मनोज तिवारी से 💪

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उत्तर पूर्वी दिल्ली में कन्हैया का मुकाबला बीजेपी के मनोज तिवारी से होगा। मनोज तिवारी के गाने तो अच्छे हैं, लेकिन उनका बोलना कन्हैया के मुकाबले फीका पड़ जाएगा।


कन्हैया की भाषा में गांव की सादगी और महानगर का आत्मविश्वास दोनों शामिल हैं। वह जेएनयू की पढ़ाई की शालीनता और खेत-खलिहान की सहज बुद्धि का मिश्रण है। इसके मुकाबले मनोज तिवारी को कठिन होगा।


कन्हैया का संदेश: संविधान की रक्षा 🙏

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कन्हैया का नामांकन संविधान की रक्षा की लड़ाई है। उन्होंने कहा है कि जब भी सत्ता अहंकारी होती है, जब भी पाप बढ़ता है, जब भी अत्याचार बढ़ता है, तब न्याय का आरंभ होता है।


वह इसी न्याय की लड़ाई लड़ने आए हैं। उनका संदेश साफ है: संविधान की ताकत को कमजोर करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह लड़ाई संविधान बचाने की लड़ाई है।

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