China GDP Slowdown: भारत के इस कदम से घबराया चीन, करने लगा है ये काम... ताकि सच न आए सामने!

China GDP Slowdown: भारत के इस कदम से घबराया चीन, करने लगा है ये काम... ताकि सच न आए सामने!


चीन की आर्थिक धीमी गति की वजहों का परिचय


चीन आर्थिक गति की वृद्धि के चार दशकों में सबसे गहरी बदलावों में से एक है। 1979 से शुरू होकर, देश एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से धीरे-धीरे विनिमय और उद्योग द्वारा शासित अर्थव्यवस्था में स्थानांतरित हुआ है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन अब दुनिया का शीर्ष व्यापार राष्ट्र है। हाल ही में ही, इस "वृद्धि के चमत्कार" की कमजोरी की निशानीशों ने दिखाई दी है। देश की GDP का विकास में थकान के आगे जाने के साथ ही, जनसंख्या के तटस्थ मुद्दों, रीयल इस्टेट क्षेत्र में धीमी गति, और राज्य द्वारा नीतिगत आर्थिक निर्धारण के पुनः-प्रकाशन के साथ यह "वृद्धि के चमत्कार" कमजोर हो रहा है। शक्तिकरण ने चीन के पश्चिमी साझेदारों के साथ का संबंध खराब करके देश के विकास के आंकड़ों को और भी खतरनाक बना दिया है।


चीन की सरकार ने 2010 के दशक में निजी उद्यमों में एक बड़े किरायेदार की भूमिका अदा करना शुरू किया, जिससे पश्चिमवादी साथीदारों के साथ रिश्तों में और सुधार हुआ।


चीन की आर्थिक धीमी गति का प्रभाव


वृद्धि के चमत्कार में चीनी अर्थव्यवस्था की वृद्धि का मुख्य तत्व बाजार-मुद्रीकरण और आत्मनिर्धारिती के सुधारों की स्वीकृति थी। वॉशिंगटन में स्थित डीबीसी ग्रोथ इकोनॉमिक्स के अनुसार, 1978 से 2022 तक चीन की वास्तविक प्रति व्यक्ति GDP तक में वृद्धि 28.4% रही है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तय करने के लिए उन्हमें चर्चाओं में निर्माण करने का वक्त मिला कि चीनी उद्यमों की तुलना में सरकारी कंपनियों ने कितना ऊंचा स्तर पर कदम रखा है।


व्यापारकर्ताओं और निवेशकों पर चीन की आर्थिक धीमी गति का प्रभाव भी पड़ रहा है। चीन जबरदस्त खरीदारी के लिए एक प्रमुख विदेशी खरीददार है और इससे उन्हें विमान भराने की आवश्यकता होती है। यदि चीनी द्वारा की जा रही वाणिज्यिक सतर्कता और आर्थिक मपदंडों के दिनों पर कोई संकेत मिल जाए, तो अन्य देशों के निवेशक भी चिंतित हो सकते हैं।


चीन की आर्थिक धीमी गति के भविष्य पर प्रभाव


चीन की आर्थिक धीमी गति के भविष्य पर, प्रभावित करने वाले कुछ महत्वपूर्ण कारक हैं। प्रथमतः, पश्चिमी आदेश प्रणाली, जिससे उसने सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए थे, इसे उन्मादन करती है और संचित करने के लिए उनके पास अधिक आवश्यकताएं कम होती हैं।


दूसरा, वैश्विक बाजार में चीनी उद्यमों के प्रवेश पर प्रभाव पड़ेगा। चीन के सारे विदेशी यात्रा और व्यापार पर संकेत मिलने पर, उन्नतिशील विकास का आधार कमजोर पड़ सकता है।


तीसरा, अनुदानित उद्योगों के संबंध में चीन के कार्यक्रमों का प्रभाव होगा। इन उद्योगों का प्रभाव, चाहे वह नवीनीकरण हो या परंपरागत माध्यमों की हो, केन्द्रित निर्णय लेने के परिणामस्वरूप सकारात्मक भी हो सकता है या फिर बाजार के हाथों में ही कोरिया और ताइवान की तुलना में हो सकता है।


चीन की आर्थिक धीमी गति - प्रश्न और उत्तर


चीन के GDP में कमी का कारण क्या है?


चीनी अर्थव्यवस्था में वृद्धि के चमत्कार में कमी के कारण डेमोग्राफिक मोड़ी, रीयल इस्टेट क्षेत्र की धीमी गति, और राज्य द्वारा नीतिगत आर्थिक निर्धारण के पुनः-प्रकाशन शामिल है।


भारत के कदमों से चीन को कैसे दिक्कत हो रही है?


भारत के कदमों ने चीन को अर्थव्यवस्था में दिक्कत पहुंचाई है। चीन एक प्रमुख व्यापार रक्षा है और धीरे-धीरे उनके खरीदारों की कमी की वजह से चीनी उद्योग को इससे प्रभाव पड़ेगा।


चीन के GDP में कमी से व्यापार और निवेश पर क्या असर पड़ेगा?


चीनी आर्थिक धीमी गति के बाद, व्यापारकर्ताओं को और निवेशकों को इसका असर पड़ेगा क्योंकि इससे चीन की खरीदारी की आवश्यकता कम होगी और उनके निवेश करने के लिए अधिक सतर्कता रखने की जरूरत होगी।


चीन का GDP मंदी में भारत का कितना योगदान है?


चीन की आर्थिक धीमी गति से भारत प्रभावित हो सकता है, क्योंकि चीन भारत के लिए एक प्रमुख व्यापार रक्षा है। चीन की अर्थव्यवस्था में कमी के कारण, भारतीय व्यापार और निवेश पर प्रभाव पड़ेगा।

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